धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। 'यह सही है कि संतोष का भाव कुछ समय के लिए प्रगति रोक देता है, लेकिन आगे चलकर बड़े अवसर भी देता है। संगठन में जो लाबिंग करेगा,उसके हाथ कुछ आने वाला नहीं है, इसलिए सिर्फ अपना काम करते जाना है।' यह कहना है डॉ. मोहन यादव का, जो उनके जीवन में प्रमाणित भी हुआ है।करीब 100 दिन पीछे जाकर आज के मोहन यादव से तुलना करें तो यकीन करना मुश्किल है कि विधायक दल की बैठक में पीछे की पंक्ति में बैठा विधायक, जो पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री था, वह आज मध्य प्रदेश सहित उत्तर भारत में भाजपा का ऐसा बड़ा चेहरा बनकर उभरा है, जिसने करीब पांच दशक से राजनीति में बड़ा नाम रहे कमल नाथ को भी चुनौती दी है।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। 'यह सही है कि संतोष का भाव कुछ समय के लिए प्रगति रोक देता है, लेकिन आगे चलकर बड़े अवसर भी देता है। संगठन में जो लाबिंग करेगा,उसके हाथ कुछ आने वाला नहीं है, इसलिए सिर्फ अपना काम करते जाना है।' यह कहना है डॉ. मोहन यादव का, जो उनके जीवन में प्रमाणित भी हुआ है।करीब 100 दिन पीछे जाकर आज के मोहन यादव से तुलना करें तो यकीन करना मुश्किल है कि विधायक दल की बैठक में पीछे की पंक्ति में बैठा विधायक, जो पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री था, वह आज मध्य प्रदेश सहित उत्तर भारत में भाजपा का ऐसा बड़ा चेहरा बनकर उभरा है, जिसने करीब पांच दशक से राजनीति में बड़ा नाम रहे कमल नाथ को भी चुनौती दी है।