वन नेशन-वन इलेक्शन को 4 पूर्व CJI का समर्थन, रामनाथ कोविंद कमेटी से कही थी ये बात


 वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट को मोदी सरकार ने स्वीकार कर ली है और कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पैनल द्वारा संकलित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के सभी चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों- न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और न्यायाधीश यूयू ललित ने व्यक्तिगत परामर्श में भाग लिया और लिखित प्रतिक्रियाएं दी. सभी ने देश में एक साथ चुनाव के लिए समर्थन व्यक्त किया है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा परामर्श के दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार पर तीन उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने आपत्ति जताई थी. इसके साथ ही एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने भी इस पर आपत्ति जताई थी.

उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से नौ ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया, उनके संभावित लाभों पर प्रकाश डाला, जबकि तीन ने चिंता या आपत्ति जताई.

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कही ये बात

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह ने एक साथ चुनाव की अवधारणा का विरोध किया, उन्होंने कहा कि इससे विकृत मतदान पैटर्न और राज्य-स्तरीय राजनीतिक परिवर्तनों के बारे में चिंताओं के साथ-साथ लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति पर अंकुश लग सकता है.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने कमेटी से बातचीत करते हुए कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन की अवधारणा राजनीतिक जवाबदेही में व्यावधान पैदा करते हैं. क्योंकि इससे बिना प्रतिनिधियों के प्रदर्शन की जांच के उन्हें राजनीतिक स्थिरता मिल जाती है. यह लोकतांत्रिक सिद्धांत और विचार के खिलाफ हैं.

वन नेशन-वन इलेक्शन पर सरकार का फैसला

कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर कहा कि यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है.

मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी ने एक साथ चुनाव कराने का विरोध किया क्योंकि उन्हें चिंता थी कि इससे भारत का संघीय ढांचा कमजोर होगा और क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने अनुभवजन्य आंकड़ों का हवाला दिया जिसमें बार-बार मध्यावधि चुनाव होने की बात कही गई थी, जिसमें लोगों को अपनी पसंद का चुनाव करने की अनुमति देने के महत्व पर जोर दिया गया था. उन्होंने भ्रष्टाचार और अकुशलता से निपटने के लिए चुनावों के लिए राज्य द्वारा वित्त पोषण को अधिक प्रभावी सुधार के रूप में सुझाया.

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